( तर्ज - मानले कहना हमारा ० )
कर मजा दुनियामें आकर ,
क्यों सजा पाता है तू ? ॥टेक ॥
बे- सुमा घरदार तेरा ,
रात दिन रोशन उजेरा ।
खोजता क्योंकर नही ?
अरु ठोकता बाता है तू ॥ १ ॥
क्या नहीं तेरी जगह ?
कह तो जरा मुझको भला ।
शक्ति है तुझमें भरी पर ,
काममें रोता है तू ॥२ ॥
संग विषयोंका कियेसे ,
होगया नादान - सा ।
कमजोर तेरी रोशनी ,
बस याँहि भाँ खाता है तू ॥ ३ ॥
जा गुरुको पूछकर
अपना पता करले जरा
कहत तुकड्या मस्त हो
बस रामका नाता है तू || ४ ||
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